सूर के पद Chapter Question Answer | ICSE Sahitya Sagar

Amit Kumar
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पदों पर आधारित प्रश्न

(i) जसोदा हरि पालने झुलावै। 
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोई-सोई कछु गावै।। 
मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै। 
तू काहे नहिं बेगहिं आवै, तोको कान्ह बुलावै ।। 
कबहुँ पलक हरि मूदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै। 
सोवत जानि मौन है कै रहि, करि-करि सैन बतावै ।। 
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै। 
जो सुख 'सूर' अमर मुनि दुरलभ, सो नंद भामिनी पावै ।।

(क) यशोदा बालकृष्ण को सुलाने के लिए क्या-क्या करती है?

उत्तर : माँ यशोदा बालकृष्ण को पालने में झुलाकर सुलाने का यत्न कर रही हैं। वे कृष्ण को हिलाती हैं, दुलार करती हैं, पुचकारती हैं और मधुर स्वर में कुछ गा भी रही हैं। यशोदा निद्रा से कहती है कि तुझे कृष्ण बुला रहे हैं, तू जल्दी आकर उसे क्यों नहीं सुलाती ?

(ख) बालकृष्ण पालने में झूलते समय क्या-क्या चेष्टाएँ कर रहे हैं ? 

उत्तर: पालने में झूलते हुए कृष्ण कभी तो अपनी पलकें बंद कर लेते हैं, पर कभी उनके होंठ पुनः फड़कने
लगते हैं।

(ग) 'जो सुख 'सूर' अमर मुनि दुरलभ, सो नंद भामिनी पावै' -- कवि ने ऐसा क्यों कहा है ?

उत्तर: सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं और मुनियों के लिए दुर्लभ है, वही सुख नंद की पत्नी यशोदा पा रही है अर्थात् भगवान कृष्ण को पालने में सुलाने का सौभाग्य केवल नंद की पत्नी यशोदा को ही प्राप्त है।

(घ) यशोदा द्वारा कृष्ण को पालने में झुलाने का दृश्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : माँ यशोदा बालकृष्ण को पालने में झुलाकर सुलाने का यत्न कर रही है। वे बालकृष्ण को पालने में झुला रही है और मधुर स्वर में कुछ गा भी रही हैं। जैसे ही यशोदा गाना बंद करती हैं, वैसे ही कृष्ण अकुलाने लगते हैं और यशोदा फिर से गाने लगती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण को पालने में सुलाने का प्रयत्न करना तथा उनकी चेष्टाओं का अवलोकन करना केवल यशोदा के भाग्य में ही है।

(ii) खीजत जात माखन खात।
अरुण लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जम्हात ।। 
कबहुँ रुनझुन चलत घुदुरन, धूर धूसर गात।
कबहुँ झुक के अलक खेंचत, नैन जल भर लात ।।
कबहुँ तुतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
'सूर' हरि की निरखि सोभा, निमिख तजत न मात ।।

(क) माखन खाते समय बालकृष्ण की चेष्टाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर : इस पद में सूरदास ने कृष्ण के मक्खन खाने का वर्णन किया है। कृष्ण मचलते हुए, चिड़चिड़ाते हुए मक्खन खा रहे हैं।

(ख) बालकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर : बालकृष्ण अत्यंत सुंदर हैं। उनके नेत्र अत्यंत सुंदर हैं, भौंहें टेढ़ी हैं, वे बार-बार जम्हाई ले रहे हैं। उनका शरीर धूल से सना है।

(ग) 'सूर वात्सल्य रस के सम्राट थे' -- उपर्युक्त पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सूरदास ने वात्सल्य रस का बहुत ही आकर्षक वर्णन किया है। सूरदास ने बालकृष्ण का मचलते हुए और चिड़चिड़ाते हुए मक्खन खाना, नींद आने पर जम्हाई लेना, घुटनों के बल चलते समय पैरों में बँधी पैंजनी के घुँघरू की झन-झन आवाज करना, कभी तोतली आवाज़ में कुछ बोलना और नंद बाबा को 'तात' कहकर पुकारना आदि का सुंदर वर्णन किया है।

( घ) शब्दार्थ लिखिए -

खीजत - झुँझलाना
अरुण लोचन - लाल नेत्र
जम्हात - जम्हाई लेना
अलक - बाल
निमिख - एक बार पलक झपकने में लगने वाला समय
तुतरे - तोतले

(iii) मैया मेरी, चंद्र खिलौना लैहौं ।।
धौरी को पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुथैहौं। 
मोतिन माल न धरिहौं उर पर, झुंगली कंठ न लैहौं ।। 
जैहों लोट अबहिं धरनी पर, तेरी गोद न ऐहौं। 
लाल कहैहौं नंद बाबा को, तेरो सुत न कहैहौं ।। 
कान लाय कछु कहत जसोदा, दाउहिं नाहिं सुनैहौं। 
चंदा हूँ ते अति सुंदर तोहिं, नवल दुलहिया ब्यैहौं ।। 
तेरी सौं मेरी सुन मैया, अबहीं ब्याहन जैहौं। 
'सूरदास' सब सखा बराती, नूतन मंगल गैहौं।।

(क) बालकृष्ण क्या लेने की ज़िद कर रहे हैं? माँ यशोदा उनकी ज़िद पूरी करने में क्यों असमर्थ है ?

उत्तर : बालकृष्ण अपनी माँ यशोदा से चंद्रमा रूपी खिलौना लेने की ज़िद कर रहे हैं, परंतु माता यशोदा बालकृष्ण का चंद्रमा रूपी खिलौना कहाँ से लाकर दे सकती है। वह खिलौने के रूप में चंद्रमा नहीं लाकर दे सकती।

(ख) अपनी ज़िद को पूरी करवाने के लिए बालकृष्ण माँ से क्या-क्या कह रहे हैं ?

उत्तर : बालकृष्ण अपनी माँ यशोदा को अपनी ज़िद पूरी करवाने के लिए तरह-तरह की धमकियाँ देते हैं। वे कहते हैं कि यदि मुझे चंद्र खिलौना नहीं मिला तो मैं गाय का दूध नहीं पिऊँगा, सिर पर बेनी नहीं गयूँगा, मोतियों की माला नहीं पहनूँगा, कंठ पर झंगुलि नहीं धारण करूँगा, अभी धरती पर लेट जाऊँगा, तेरी गोद में नहीं आऊँगा, तेरा पुत्र नहीं कहाऊँगा और नंद बाबा का पुत्र बन जाऊँगा।

(ग) माँ यशोदा ने बालकृष्ण को बहकाने के लिए क्या प्रयास किया ? उस पर बालकृष्ण की क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर: कृष्ण की उपर्युक्त बातें सुनकर यशोदा ने अत्यंत चतुराई से उनके कान में कुछ कहा। वे बोलीं बलराम को इस बात का पता न चले, मैं चंद्रमा से भी सुंदर दुल्हन के साथ तेरा विवाह करवाऊँगी। यशोदा की बात सुनकर कृष्ण चंद्रमा रूपी खिलौने की ज़िद भूल गए और बोले- मैं अभी विवाह करवाने जाऊँगा।

(घ) सूरदास के बाल-वर्णन की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: सूरदास ने श्रीकृष्ण की बाल-सुलभ चेष्टाओं एवं विविध क्रीड़ाओं के अत्यंत स्वाभाविक और मनोमुग्धकारी चित्र अंकित किए हैं, जिनमें कहीं कृष्ण घुटनों के बल आँगन में चल रहे हैं, कहीं मुख पर दधि लेपकर दौड़ रहे हैं, कहीं हँसते हुए किलकारी मारते हैं। बालक कृष्ण मक्खन खाते हुए तथा धूल में घुटनों के बल चलते हुए बहुत सुंदर दिखाई देते हैं। सूरदास ने कृष्ण की बाल-लीलाओं की जैसी मनोहर झांकी प्रस्तुत की है, वैसी झांकी विश्व-साहित्य की किसी भी भाषा में मिलनी संभव नहीं है।

1 comment

  1. The questions and answers were very helpful for me in the examination!! In the very first examination of 9th standard I got only 67 out of 80 then I searched different different websites and finally got (Shout to Learn).And after 1st mid-term of 9th standard I scored 70+ out of 80!! Really no better websites you will get against this
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