नेताजी का चश्मा Workbook Answers| ICSE Sahitya Sagar

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 निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए


(1) हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था।


(क) कस्बे की क्या-क्या विशेषताएँ थी?

उत्तर: कस्बा कुछ बड़ा नहीं था जिसमें कुछ ही पक्के मकान थे दो सिनेमाघर एक बाजार लड़के और लड़कियां के स्कूल सीमेंट का कारखाना तथा एक नगरपालिका थी।

(ख) 'नगरपालिका भी कुछ-न-कुछ करती रहती थी स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: नगरपालिका भी कुछ ना कुछ कराती रहती थी कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी कुछ पेशाब खाना बनवा दिया, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दिए, तो कभी कवी सम्मेलन करवा दिया करते थे

(ग) सुभासचंद्र बोस की प्रतिमा किसने, कहाँ लगवाई ?  काम किसे सौंपा गया और क्यों ?

उत्तर:एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाजार के चौराहे पर सुभाष चंद्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवाई थी। चुकी बजट ज्यादा नहीं था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के शिक्षक को सौंपा गया मूर्ति सुंदर बनी थी बस एक चीज की कमी थी नेताजी की आंख पर चश्मा नहीं था

(घ) नेताजी की मूर्ति की क्या विशेषताएँ थीं ? मूर्ति में किस चीज की कमी थी ?

उत्तर: मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊंची। जिसे कहते हैं बस्ट और सुंदर थी । नेताजी सुंदर लग रहे थे कुछ कुछ मासूम और कमसिन। फौजी वर्दी में मूर्ति को देखते ही "दिल्ली चलो" और "तुम मुझे खून दो..." वगैरा याद आने लगते थे। इस दृष्टि से असफल और सहनीय प्रयास था। केवल एक चीज की कमी थी जो देखते ही खटकठ  थी नेताजी की आंखों पर चश्मा नहीं था। यानी चश्मा को था लेकिन संगमरमर का नहीं था एक समान और सचमुच के चश्मे का चौड़ा कला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था।


(ii) क्या मतलब ? क्यों चेंज कर देता है ? हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए ? 


(क) पानवाले ने कैप्टन चश्मेवाले द्वारा नेताजी की मूर्ति का चश्मा चेंज करने के संबंध में क्या बताया ?

उत्तर: उसने बताया कि जब कोई ग्राहक को मूर्ति पर बने चौड़ा फ्रेम वाला चश्मा चाहिए तो कैप्टन दूसरा कहा से लाए इसलिए कैप्टन चश्मेवाले  वह  मूर्ति वाला फ्रेम उतारकर उसे दे देता है और वहां दूसरा फ्रेम लगा देते हैं

(ख) पानवाले की बात सुनकर भी हालदार साहब को कौन-सी बात अभी भी समझ में नहीं आई

उत्तरपानवाले की बात सुनकर भी हालदार साहब को यह बात समझ नहीं आई कि नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहां है उन्हे क्यू सचमुच वाले चश्मे पहनाए जाते है जो बार बार बदलना पड़ जाता है

(ग) पानवाले ने हालदार साहब की बात का क्या उत्तर दिया ? उसका उत्तर उसके लिए तथा साहब के लिए अलग-अलग किस प्रकार था ?

उत्तर: पानवाले ने हालदार साहब की बात सुनकर आंखों आंखों में मुस्कुराए और कहा कि मास्टर बनाना भूल गया। पानवाले के लिए यह मजेदार बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रव करने वाली।

(घ) मूर्ति बनानेवाले के संबंध में हालदार साहब के मन में किस प्रकार के भाव जाग्रत हुए ?

उत्तर: हालदार साहब ने सोचा बेचारे ने महीने भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा कर दिया होगा बना भी ली होगी लेकिन पत्थर में पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए कांचवाला या तय नहीं कर पाया होगा यह कोशिश की होगी और असफल रहा होगा। या बनाते-बनाते कुछ और बारीकी के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा यह पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा


(iii) नहीं साब, वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में ? पागल है, पागल। वो देखो वो आ रहा है। आप उसी में बात कर लो। फ़ोटो-वोटो छपवा दो उसका कहीं।'


(क) हालदार साहब को पानवाले की कौन-सी बात अच्छी नहीं लगी और क्यों ?

उत्तर : हालदार साहब के पूछने पर क्या कैप्टन चश्मे वाला नेता जी का साथी है यह आजाद हिंद का फौजी का भूतपूर्व सिपाही इस बात पर पान वाले ने कहा नहीं साहब वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में पागल है पागल । हालदार साहब को यही पान वाले की बात अच्छी नहीं लगी। क्योंकि उन्हें लगा कि एक देशभक्त का इस तरह मजाक उड़ाना अच्छी बात नहीं है।

(ख) सेनानी न होने पर भी चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहा जाता था ? सोचकर लिखिए।

उत्तरचश्मे वाला कभी सेना में नहीं था,ना ही कभी उसने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया वह बेचारा तो खुद अपाहिज था परंतु नेता जी की मूर्ति पर चश्मा बदलता रहता था वह अपनी तरफ से नेताजी को चश्मा लगाता था। यह सब देखकर लगता था कि वह नेताजी का साथी अथवा फौज का कैप्टन था।

(ग) चश्मेवाले को देखकर हालदार साहब अवाक् क्यों रह गए ? चश्मेवाले का परिचय दीजिए

उत्तर: कैप्टन चश्मेवाले को देखकर हालदार साहब अवाक रह गए क्योंकि वह एक बूढ़ा मरियल सा लँगडा आदमी था । सिर पर गांधी टोपी, आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे चश्मे लिए आ रहा था । इनके लिए अपनी दुकान भी नहीं थी बहुत से वह फेरी लगाकर अपने चश्मे को बेचता था । वह अपने चश्मे बेचने के साथ-साथ देशभक्ति भी था इसलिए बिना चश्मे के नेताजी की मूर्ति के लिए रियल चश्मा पहना दिया था और ग्राहकों की मर्जि के अनुसार इस चश्मे को बदलता भी रहता था ।

(घ) हालदार साहब पानवाले से क्या पूछना चाहते थे और क्यों ? पानवाले ने उनकी बात पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की ?

उत्तर: हालदार साहब पान वाले से यह पूछना चाहते थे कि कैप्टन चश्मे वाले का असली नाम क्या है इसे कैप्टन कह कर क्यों पुकारते हैं। पानवाले ने उनकी बात पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ़ बता दिया था कि अब वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं

(iv) 'बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का, जो अपने देश की खातिर घर गृहस्थी, जवानी जिंदगी सब कुछ होम कर देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है ?'


(क) उपर्युक्त कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन के द्वारा यह पता चलता है कि अपने देश की रक्षा करने के लिए बहुत लोग अपने घर परिवार को छोड़कर, अपनी हर खुशी को त्याग दिया तथा अपना सर्वस्व देश के प्रति समर्पित कर आजादी के आंदोलन में भाग लिए। लेकिन आजकल इस प्रकार कोई करने के लिए सोचता है तो उसे देखकर लोग हंसने के लिए तैयार होते है तो लोग उनकी देशभक्ति पर हँसते हैं। ऐसे लोग सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हैं । पहले देश की रक्षा करने के लिए जान शान की बात मानते थे परंतु आजकल मजबूरी मानते हैं।

(ख) हालदार साहब को कैप्टन चश्मेवाला देशभक्त क्यों लगा ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:हालदार साहब को कैप्टन चश्मे वाले एक देशभक्त इसलिए लगा क्योंकि इस कस्बे के चौराहे पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति में चश्मा नहीं था उस कस्बे के लोग इसे देख कर भी अनदेखा कर के रहने लगे थे लेकिन कैप्टन को नेता जी की बिना चश्मे वाली मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी। तो उससे रियल चश्मा पहना दिया और अपने देश के बड़े क्रांतिकारी के प्रति देश भक्ति प्रकट की और चश्मा बेचने वाले होने पर भी देश भक्ति प्रकट करने के लिए के कारण हालदार साहब उसे सच्चा देशभक्त मानते थे

(ग) पंद्रह दिन बाद जब हालदार साहब उस कस्बे से गुज़रे तो उनके मन में कौन-कौन से विचार आ रहे थे ? 

उत्तर: पंद्रह दिन बाद जब हालदार साहब उस कस्बे से गुजरे तो उनके में मन में विचार आया कि सुभाष चंद्र की प्रतिमा अवश्य ही अपने स्थान पर प्रस्थापित होगी। लेकिन सुभाष की आंखों पर चश्मा नहीं होगा क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया और कैप्टन मर गया सोचा वहां आज रुकेंगे नहीं पान भी नहीं खाएंगे मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं

(घ) चौराहे पर रुकते हुए हालदार साहब क्या देखकर भावुक हो गए और क्यों ?

उत्तर: हालदार साहब 15 दिन बाद जाते समय यह निर्णय कर चुके थे कि उस चौराहे पर नहीं उतरेंगे जहां पर बिना चश्मे की मूर्ति है लेकिन आदत से मजबूर आंखें चौराहे आते हैं मूर्ति की तरफ उठ गई कुछ ऐसा देखा कि ड्राइवर को तुरंत गाड़ी रोकने के लिए कहा फिर फिर गाड़ी से तुरंत कूदकर मूर्ति की ओर जाते हैं और देखते हैं कि नेता जी की आंखों पर सरकंडे का बना छोटा सा चश्मा रखा हुआ है जो बच्चें बना लेते है और इसे  देखकर हालदार साहब भावुक हो जाते हैं कि अभी भी बच्चो में देशभक्ति मौजूद है।

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